डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर भारत के सामाजिक आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे।

डॉ॰ भीमराव रामजी अंबेडकर ( १४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६ )

       विश्व स्तर के भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाज शास्त्री, मानवविज्ञानी, संविधानविद्, लेखक, दार्शनिक, इतिहासकार, धर्मशास्त्री, वकील, विचारक, शिक्षाविद, प्रोफ़ेसर, पत्रकार, बोधिसत्व, संपादक, क्रांतिकारी, समाज सुधारक, भाषाविद, जलशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक, सत्याग्रही, दलित-शोषित नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे और वे भारतीय संविधान के शिल्पकार भी है।

     डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर भारत के सामाजिक आन्दोलन के सबसे बड़े नेता थे।

             डॉ॰ भीमराव आंबेडकर बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय हैं, जिसका मराठी भाषा में अर्थ 'पिता' होता है। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, प्रचंड बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, साहस, नियमितता, दृढता, दूरदृष्टि, प्रचंड संग्रामी स्वभाव का मेल था। भारत को मजबूत लोकतंत्र प्रदान करने वाले बाबासाहेब अनन्य कोटी के नेता थे, जिन्होंने अपना समस्त जीवन समग्र भारत के कल्याण के लिए लगाया। भारत के शोषित, पिडीत, दलित एवं पिछडे सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर जी के जीवन का प्रमुख संकल्प था। इनके उत्थान के संघर्ष में वे हमेशा व्यस्त रहे और साथ ही भारतीय स्वतंत्र्यता, आधुनिक भारत के निर्माण में अनमोल योगदान एवं कार्य करते रहे। भारत देश के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शिक्षा, कानून, बिजली आदी क्षेत्रों में उनके अतुलनीय योगदान रहे है इसलिए डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को आधुनिक भारत के निर्माता भी कहां जाता है।[1][2][3][4] प्रकांड विद्वान एवं बहुश्रुत डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की ६४ विषयों पर मास्टरी थी, जो कि केंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के २०११ के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा है।[5][6] इसलिए इस विश्वविद्यालय ने बाबासाहेब को विश्व के सबसे प्रतिभाशाली इंसान घोषित किया है। अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बाबासाहेब को विश्व के टॉप १०० महान विद्वानों की सूचीं में शीर्ष पर स्थान दिया है। विश्वविद्यालय इन १०० विद्वानों की सूची में बाबासाहेब ही एकमात्र भारतीय थे। भारत में हुए दि ग्रेटेस्ट इंडियन नामक विश्वस्तर के भारतीय सर्वेक्षण में भी बाबासाहेब टॉप १०० भारतीयों में पहले सबसे महानतम भारतीय (The Greatest Indian) ते रूप में घोषित हूए है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ही भारत के अब तक के पहले सबसे महान अर्थशास्त्री है। विश्व एवं भारत के सबसे बुद्धिमान विद्वांनो में बाबासाहेब का नाम सबसे पहले लिया जाता है। भारत के सबसे महान समाज सुधारक, सबसे महान विधिवेत्ता के तौर पर भी बाबासाहेब ही नाम सबसे आगे है। बाबासाहेब की जन्मतिथी आंबेडकर जयंती भी पूरे विश्व में मनाई जाती हैं।

बाबासाहेब का जन्म एक गरीब परिवार मे हुआ था। एक अछूत परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। हिंदू धर्म में मानव समाज को चार वर्णों में वर्गीकृत किया है। जो इस प्रकार है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। बाबासाहेब ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए सारा जीवन कठीण संघर्ष किया है। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म को ग्रहण करके इसके समतावादी विचारों से समाज में समानता स्थापित कराई। हालांकी वे बचपन से बुद्ध के अनुयायी थे। उन्हें दलित बौद्ध आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर को महापरिनिर्वाण के ३४ वर्ष बाद सन १९९० में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

कई सामाजिक और वित्तीय बाधाएं पार कर, डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर उन कुछ पहले अछूतों मे से एक बन गये जिन्होने भारत में कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ने कानून की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही विधि, अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान में अपने अध्ययन और अनुसंधान के कारण कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कई डॉक्टरेट डिग्रियां भी अर्जित कीं। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर वापस अपने देश एक प्रसिद्ध विद्वान के रूप में लौट आए और इसके बाद कुछ साल तक उन्होंने वकालत का अभ्यास किया। इसके बाद उन्होंने कुछ पत्रिकाओं का प्रकाशन किया, जिनके द्वारा उन्होंने भारतीय अस्पृश्यों के राजनैतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को वैश्विक बौद्ध संमेलन, नेपाल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बोधिसत्व की उपाधि प्रदान की है, हालांकि उन्होने खुद को कभी भी बोधिसत्व नहीं कहा, यही उनकी बडी महानता है। 'बोधिसत्व' बौद्ध धर्म की सर्वोच्च उपाधी है, खुद पर विजय प्राप्त कर बुद्धत्व के करीब पोहोचने वाले एवं बुद्ध बनने के रास्तें पर चलने वाले महाज्ञानी, महान मानवतावादी एवं सबका कल्याणकारी व्यक्ति 'बोधिसत्व' कहलाता है। बोधिसत्व अवस्था प्राप्त करने के कई अवस्थाओं गुजरना पडता है। बोधिसत्व उपाधी हिंदू या संस्कृत ग्रंथों की महात्मा उपाधी से बहूत व्यापक एवं उच्च दर्जे की है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर को धम्म दिक्षा देने वाले महान बौद्ध भिक्षु महास्थवीर चंद्रमनी ने उन्हें को इस युग का भगवान बुद्ध कहाँ है।

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